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John D. Rockefeller

July 15, 2015

अमेरिका की बात हैं. एक युवक को व्यापार में बहुत नुकसान उठाना पड़ा. उसपर बहुत कर्ज चढ़ गया, तमाम जमीन जायदाद गिरवी रखना पड़ी . दोस्तों ने भी मुंह फेर लिया, जाहिर हैं वह बहुत हताश था. कही से कोई राह नहीं सूझ रही थी. आशा की कोई किरण दिखाई न देती थी.

एक दिन वह एक park में बैठा अपनी परिस्थितियो पर चिंता कर रहा था. तभी एक बुजुर्ग वहां पहुंचे. कपड़ो से और चेहरे से वे काफी अमीर लग रहे थे.

बुजुर्ग ने चिंता का कारण पूछा तो उसने अपनी सारी कहानी बता दी.







बुजुर्ग बोले -” चिंता मत करो. मेरा नाम John D. Rockefeller है. मैं तुम्हे नहीं जानता,पर तुम मुझे सच्चे और ईमानदार लग रहे हो. इसलिए मैं तुम्हे दस लाख डॉलर का कर्ज देने को तैयार हूँ.”


फिर जेब से checkbook निकाल कर उन्होंने रकम दर्ज की और उस व्यक्ति को देते हुए बोले, “नौजवान, आज से ठीक एक साल बाद हम ठीक इसी जगह मिलेंगे. तब तुम मेरा कर्ज चुका देना.”


इतना कहकर वो चले गए. युवक shocked था. Rockefeller तब america के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक थे. युवक को तो भरोसा ही नहीं हो रहा था की उसकी लगभग सारी मुश्किल हल हो गयी. उसके पैरो को पंख लग गये.


घर पहुंचकर वह अपने कर्जो का हिसाब लगाने लगा. बीसवी सदी की शुरुआत में 10 लाख डॉलर बहुत बड़ी धनराशि होती थी और आज भी है.


अचानक उसके मन में ख्याल आया. उसने सोचा एक अपरिचित व्यक्ति ने मुझपे भरोसा किया, पर मैं खुद पर भरोसा नहीं कर रहा हूँ. यह ख्याल आते ही उसने चेक को संभाल कर रख लिया. उसने निश्चय कर लिया की पहले वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेगा, पूरी मेहनत करेगा की इस मुश्किल से निकल जाए. उसके बाद भी अगर कोई चारा न बचे तो वो check use करेगा.


उस दिन के बाद युवक ने खुद को झोंक दिया. बस एक ही धुन थी, किसी तरह सारे कर्ज चुकाकर अपनी प्रतिष्ठा को फिर से पाना हैं.


उसकी कोशिशे रंग लाने लगी. कारोबार उबरने लगा, कर्ज चुकने लगा. साल भर बाद तो वो पहले से भी अच्छी स्तिथि में था.


निर्धारित दिन ठीक समय वह बगीचे में पहुँच गया. वह चेक लेकर Rockefeller की राह देख रहा था की वे दूर से आते दिखे. जब वे पास पहुंचे तो युवक ने बड़ी श्रद्धा से उनका अभिवादन किया. उनकी ओर चेक बढाकर उसने कुछ कहने के लिए मुंह खोल ही था की एक नर्स भागते हुए आई और झपट्टा मरकर वृद्ध को पकड़ लिया. युवक हैरान रह गया. नर्स बोली, “यह पागल बार बार पागलखाने से भाग जाता हैं और लोगो को जॉन डी . Rockefeller के रूप में check बाँटता फिरता हैं.”


अब वह युवक पहले से भी ज्यादा हैरान रह गया. जिस check के बल पर उसने अपना पूरा डूबता कारोबार फिर से खड़ा किया,वह फर्जी था. पर यह बात जरुर साबित हुई की वास्तविक जीत हमारे इरादे , हौंसले और प्रयास में ही होती हैं. 



हम सभी यदि खुद पर विश्वास रखे तो यक़ीनन किसी भी असुविधा से, situation से निपट सकते है.
Einstein ने एक बार का था- “ मैं उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ, जिन्होंने मुझे मदद करने से इनकार कर दिया. क्योंकि उसी के कारण मैंने अपना सारा काम खुद किया.” दुसरे हमे मुसीबत के गड्ढे से निकालेगे इसका वेट करने के बजाय खुद ही क्यों न कोशिश करे.